(श्याम चोरसिया )
मप्र के लोकप्रिय cm डॉक्टर मोहन यादव 70 हजार से अधिक अथिति शिक्षकों के दिन बुहर ठीक,सम्मानजनक, सुनिश्चित मुकाम देने में फिलहाल नाकाम लगते। आलम ये है कि कब परमानेंट शिक्षक ज्वाइन होकर 10-12 साल से आंगनवाड़ी,आशा कार्यकर्ता से भी कम मानदेय में सेवा देते आरहे प्रशिक्षित सो टच खरे अथिति शिक्षक की बलि ले, सड़क पर ला दे। कोई ग्यारंटी नही है।
नियमितीकरण के लिए पिछले 10 -12 साल से मांग करने,आहुतियां देने वाले 70 हजार से अधिक अथिति शिक्षकों को सरकार तलवार की धार पर चलवा तनाव से उभरने ही नही देती। अथिति शिक्षकों ने नियमितीकरण सहित अन्य मानवीय मांगो के समर्थन में एक बार फिर राजधानी भोपाल में प्रदर्शन करके बीजेपी की डॉक्टर मोहन यादव सरकार को कुम्भकर्णीय नींद से जगाने का प्रयास किया। मगर सरकार की चमड़ी पर जू नही रेगी। ताजा शिक्षा सत्र का ये पहला आन्दोलन था।पूर्व-cm मामा शिवराज सिंह चौहान ने 05 सितम्बर 23 को आहूत अथिति पंचायत में अथितियों को नियमित करने सहित अन्य सेवा शर्ते लागू करने की ग्यारंटी दी थी।इस महापंचायत से केवल एक फायदा हुआ था।पहले के मुकाबले दो गुना मानदेय कर दिया था। महापंचायत के अन्य निर्णयों में कुछ निर्णयों पर अमल नही हुआ। मसलन एक बार हो चुका अनुबंध हर साल मान्य रहेगा।मगर इसका पालन भी नही हो रहा है। हर शिक्षा सत्र में रिचार्ज होने के तनाव में टप्पे खाना पड़ते है। सेवारत अथितियों की जगह अब किसी अन्य नियमित शिक्षको तैनात न करने के संकल्प ने अथितियों को बाग बाग कर दिया। मगर मामा की ये ग्यारंटी भी फुस्सा साबित हुई। पिछले 03 सालों में हजारों अथिति सड़क पर ला दिए गए।
नियमित करने ओर मानदेय को वेतन में बदलने में आरहे रोडो को हटाने की प्रक्रिया जारी करने का वचन दिया।
सनद रहे पिछले 10-12 सालों से तनाव,अनिश्चितता के शिकार 70 हजार से अधिक अथितियों के जीवन और सेवा का कोई मूल्य नही आंका जा रहा है।जबकि बीजेपी शासित छत्तीसगढ़, हरियाणा, यूपी, में अथितियों/ गुरुजी को मानदेय की बजाय मासिक वेतन सहित अन्य सुविधाएं मिलने से शिक्षकों का मनोबल, आत्मविश्वाश बढ़ा। ठीक इसके विपरीत मप्र में अथितियों को बेपटरी,बेरोजगार करने की रफ्तार थम नही है। कांग्रेस यदि बीजेपी की यादव सरकार पर युवा प्रतिभाओं के दमन, शोषण करने और भविष्य से खेलने का आरोप जड़ती है तो आरोपो में दम तो लगता है।