(श्याम चौरसिया )
Pm मोदी की अनेक बीमारियों के जनक खाद्य तेल का उपयोग कम करने की नसीयत को आम उपभोक्ताओं ने गले कम ही लगाया हो। मगर इस नसीयत की आड़ में खाद्य तेल उत्पादक कम्पनियों की चांदी हो गयी। खाद्य तेल उत्पादक कम्पनियों में पटेल मानी जाने वाली कम्पनी ने इस कीमती नसीयत पर अमल करते हुए भाव भले ही नही घटाए मगर वजन इतना घटा दिया कि मुनाफा छलांग लगा गया। जबकि अन्य कम्पनियों ने उक्त पटेल कम्पनी की तर्ज पर वजन में हेर फेर तो की। पर अभी इतना नहीं कर सकी की आम उवभोक्ताओ की जेब पूरी तरह से कुतरी जा सके।
बतौर मिसाल। जिस 900 एमएल कृति का पाउच आम उपभोक्ता 130 में खरीद रहा है। इसी दाम में दूसरी कम्पनियों के 900 ग्राम के खाद्य तेल पाउच सुलभ है।
आम उपभोक्ता ग्राम और एमएल के बेतोल फर्क को नही समझता। कम्पनियों इसी झोल, इसी अज्ञानता को भारी लाभ में बदल बम्पर मुनाफाखोरी कर रही है।
सनद रहे ग्राम ओर एमएल में पूरे 75- 80 ग्राम का अंतर आता है। यानी 900 ग्राम के पाउच के मुकाबले 900 एमएल का खाद्य तेल पाउच 75-80 ग्राम कम निकलता है। यानी कम्पनी 75-80 ग्राम के रुपये फिजूल वसूल मुनाफा सूत रही है।
अव्वल तो हर कम्पनी को 910 ग्राम यानी 01 लीटर यानी 1000 एमएल के पाउच बेचना चाहिए। मगर कम्पनियों ने आंखों में धूल झोंकने के लिए दाम वही रखे। पर वजन घटा दिया। नतीजन कम्पनियों की हेरफेर में आम उपभोक्ता बुरी तरह लूट रहा है।
पटेल मानी जाने वाली कम्पनियों की तर्ज पर अन्य कम्पनियां भी ग्राम को एमएल में बदल लूट में शामिल हो भारी मुनाफा खोरी कर सकती है।
जब उक्त कंपनियों को लगेगा कि धांधली,लूट,डकैती को अंजाम देने वाली कम्पनी का कुछ बांका नही हो सका तो अन्य कमलनिया क्यो घाटा उठाएंगी? वे भी लूट की रफ्तार/दौड़ में शामिल होने के अवसरों को क्यों हाथ से जाने देंगी?
जिस पटेल माने जाने वाली कम्पनी ने 01 लीटर यानी 1000 एमएल के बदले 900 एमएल औरउसी की तर्ज पर 910 ग्राम यानी 01 लीटर- 1000 एमएल के पाउच/केन/ कट्टी बाजार में उतारी है। जन हित/ उपभोक्ता हित मे निर्धारित दाम चूकता करने के बदले उचित वजन का खाद्य तेल सुलभ कराया जाए। जारी हेरफेर पर लगाम लगे।
Pm मोदी ने बढ़ते दवाओ के खर्च को कम करने और निरोगी रहने के लिए खाद्य तेल का कम से कम उपयोग की नसीयत दी थी। मगर इसी नसीयत को कुछ खाद्य तेल उत्पादक कम्पनियों ने बम्पर मुनाफा खोरी का जरिया बना उपभोक्ताओं की आंखों में धूल झोंक लूट चालू कर दी। उपभोक्ता पर दो तरफा मार पड़ रही है। पहली । वह कम वजन का भरपूर मूल्य चुका रहा है। दूसरा रिफाइंड के नाम पर जानलेवा बीमारियों का शिकार बनाया जा रहा है।
इसी मान से 05-15 लीटर की कत्तियो/ केनो में भी लूट जारी है। वजन के हेरफेर को न समझने वाले पूरा दाम चुकाने के बाबजूद कम वजन का खाद्य तेल खरीदने मजबूर है।
आम उपभोक्ताओं को सरक्षण देने हेतु सरकार को चाहिए कि वह 01 लीटर यानी 910 एमएल या 01 किलो यानी 1000 ग्राम के मानक के पाउच या कट्टी/केन सप्लाई अनिवार्य करे। वजन के हेरफेर पर सख्ती से लगाम लगाए।