(जगदीश रघुवंशी )
राजगढ़ का सबसे गतिशील और राजनीति की धारा तय करने वाला ब्यावरा एक बार फिर अतिक्रमण हटाओ मुहिम के नाम पर जारी खेल,भेदभाव, मोलभाव की वजह से सुर्खियों में है।
10-11 महीने बाद फिर एन दीपावली के समय अतिक्रमण विरोधी मुहिम के आगाज ने अच्छे माहौल में लक्ष्मी पूजन करने वालों के उज्जवल मंसूबो पर पानी फेर दिया। नतीजन त्योहारी हाट सोमवार के दिन भी बाजार सन्नाटे से उभर नही पाया। 08-10 दिनी दीपावली सीजन के मुरीदों ने लाखो का दांव लगाया था। मगर त्योहारी रंगत का आनंद लेने से पहले ही पीले पंजे ने वज्रपात कर दिया। अब ठीक से लक्ष्मी पूजन करना टेडी खीर लगता है। मूल पूंजी तक खतरे में नजर आ रही है। रोजगार देना तो दीगर। उल्टे बेरोजगारी के स्थाई दलदल में धकेल दिया। बीजेपी की मोहन यादव के तमाम दावों की अर्थी ब्यावरा में निकलती दिखती है।
फल-सब्जी विक्रेताओं की धमाचौकड़ी से शाम 05 से 08 बजे तक पुरानी एबी रोड हाथ ठेलों, फडीयो वालो की वजह से सकरी हो जाता है। पीछे की दुकानों तक ग्राहकों को आने जाने में बड़ी दिक्कत आती है।
फल सब्जी हाथ ठेलों को सीएमओ इकरार अहमद टीम आए दिन हटाती है। मगर चार दिन की चांदनी। फिर हाथ ठेले,फडीए सड़क सकरी करके चुनोती बन तन जाते है।
मप्र सरकार के मंत्री स्वत्रन्त्र प्रभार की सदारत में सम्पन्न बैठक में पुरानी एबी रॉड सहित लोकहित में बाधक तमाम अतिक्रमणों से मुक्ति दिलाने का फैसला लिया गया था।उसी क्रम मे अतिक्रमण हटाया भी गया। मगर भेदभाव के चलते माँ कर्मा चौराहा की एक गुमटी को वरदान दे दिया। ऐसे दर्जनों मिसालें है।
अहिंसा गेट,अस्पताल रोड़ सहित अनेक अवैध अतिक्रमणकारियो के योग बेखटके दीपावली मनाने के लग रहे है। ब्राह्मण धर्मशाला के प्रवेश द्वार पर दिसम्बर 24 में हटाए गए अतिक्रमण मुहिम में छोड़ दी गयी दुकाने अब पक्की हो भेदभाव और खेल की चुगली कर रही है। इन दुकानों को हटाने के लिए ब्रामण समाज गत 04 सालों सेआपत्ति ले ज्ञापन देता आ रहा है। एक बडे,जागरूक समाज की आपत्तियों की परवाह नही है। जबकि इसी समाज के अनेक नेता प्रभावी माने जाते है।
सुगम यातायात,परिवहन एवं व्यापक लोक हित में बाधक अवैधअतिक्रमण हटना चाहिए। ऐसे अवैध अतिक्रमणों को हटाने में जनसमर्थन भी मिलता है। पर बेवजह सदियों पुराने पंजिकृत भवनों,दुकानों को तोड़ना और लोकहित में बाधक अवैधअतिक्रमणों को वरदान देने से मुहिम की नीति,नियत,पारदर्शिता पर एक नही अनेक सवाल खड़ा होते है।
इससे नेतृत्व की नीयत पर अंगुलियों उठना स्वाभाविक है।
ऐसे एक नही दर्जनों मिसालें दी जा सकती है।
नवम्बर- दिसम्बर 24 में पुराने एबी रॉड से हटाए गए अतिक्रमणों से यातायात सुगम भी हुआ था। सुगम यातायात में बाधक माने जाने वाले मस्जिद के सामने की एक दशकों पुरानी पंजिकृत दुकान ने लोकहित में बलि दे थी।सोचा था। पहले हटाए गए अतिक्रमणों की तरह पुनर्वास हो जाएगा तो परिवार बेरोजगार होने और भूखे मरने से बच जाएगा। पर बलि बेकार गयी।
सनद रहे इस परिवार के पुरखो को आज के सत्तास्वाद विसारदो को कुतुब मीनार पर बैठाने का गौरव हासिल है।नेक इरादे, भावना में बह इस गौरव की बलि उक्त परिवार के वारिसों ने दे दी।मगर सब कुछ उल्टा ही नही बल्कि उनके साथ जबरजस्त,शोचनीय खेल हो गया।
अनेक तपस्वी भाजपाइयों का दावा है कि उक्त दुकान से सटे और अगल बगल के व्यक्ति ने अपने आवासीय भवन को व्यवसयिक भवन में बदलने के लिए उक्त भाजपाई पुरोधा परिवार की पंजिकृत दुकान को तुड़वाने के बदले जम कर उत्कोच की चढ़ोत्तरी अर्पित की।
यदि इस तथ्य में सत्यता न होती तो नेतत्वकर्ता ओर बीजेपी के आज के नीति नियंता उक्त पुरोधा परिवार से आत्मीय सहानुभूति रखते।मानवीयता दिखाते। न कि उल्टी नसीहतें देते। खिल्ली उड़ाते। हड़काते।
दिलचस्प। कुछ जिम्मेदारों और समाज के गण्यमान जनों ने नेतृत्वकर्ताओं को उक्त परिवार के उद्धार करने की गुजारिश करने का साहस भी दिखाया। मगर उंन्हे भी घुट्टी पिला चलता कर दिया।
उक्त पुराधा परिवार के संग हुए अन्याय ने अनेक तपस्वियों की आंखे खोल दी। नतीजन इस असीरगढ़ में कांग्रेस के सेंध लगाने के योग प्रबल होते जा रहे है।