( श्याम चोरसिया)
पिछले 10-11 सालों में अनेक सनसनीखेज आर्थिक घोटालों, मानव तस्करी, जघन्य अपराधों, भीषण आगजनी, लूटमार,बम कांडों, हत्याओं, कुकृत्यों, शोषण,दमन,केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों पर हमला करवाने, संदेश खाली के दुर्दांत आतंकी अपराधियों को दूध पिलाने, तत्कालीन राजपाल के खिलाफ जानलेवा साजिस रचने, सांसदों, विधायको पर जानलेवा हमला करने वालों की पीठ सहलाने सहित अन्य जन विरोधी कारनामों की जनक टीएमसी की ममता सरकार जनाधार, जन विश्वास, खो चुकी है। जिस सरकार के खिलाफ महिलाएं, बुद्धिजीवी, डॉक्टर,आदिवासी, मजदूर सड़कों पर उतर चुके हो। जिस सरकार पर भारत विरोधी रोहिव्या, घुसपैठियो को संरक्षण/वरदान देने, तुष्टिकरण के गंभीर आरोपो के प्रमाण भी जांच एजेंसियों के पास हो। उस सरकार को बतौर पीएम श्रीमती इंद्रा गांधी शायद ही बर्दास्त कर पाती। उसे बर्खास्त कर देती। मगर पीएम मोदी मूक दर्शक बने अपनी ही पार्टी के सांसदों,विधयकों पर होते हमलों को बर्दास्त करने खुद को बुद्ध साबित करने की जुगत में लगटें है। pm मोदी का ये पचाऊ रुख प.बंगाल के असल निवासियों को घोर निराशा में ढकेल रहा है तो रोहिंग्यो, घुसपैठियों की लाटरी खोल रहा है। इसी होसले के बूते cm बैनर्जी ने चुनाव आयोग जैसी ताकतवर संवैधानिक संस्था को खुली चुनोती दे दी है। इस हिंसात्मक चुनोती के बीच आयोग कैसे sit अनुष्ठान संपन्न करवा कर करोडो फर्जी वोटरों की छटनी करेगा। ये फर्जी वोटर ही टीएमसी की प्रचंड फतह का बीमा है।
प. बंगाल में राजस्थान,गुजरात, महाराष्ट,मप्र, उप्र, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु,आंध्र की तत्कालीन सरकारों के मुकाबले 05% भी आरोप नही थे। केवल राजनेतिक अस्थिरता के आरोप में उन व्यापक जनाधार वाली सरकारों को pm इंद्रा जी ने निपटा दिया था।
अल्पमतीय कांग्रेस की नरसिंहराव सरकार ने 1992 में राजस्थान,मप्र, गुजरात आदि की सरकारों को भंग करके राष्टपति शासन लगा दिया था। जबकि इन सूबो मे बंगाल जैसी कोई उथल पुथल, अराजकता,हिंसा नही फैली थी। न आम जन सड़क पर उतरे थे। सरकारें पूर्ण बहुमत में थी। मगर राजनीतिक अस्थिरता के नाम पर सरकारों के गले काटने में न कानून, न संविधान की चिंता की।
मगर जिस एनडीए की pm मोदी सरकार को सम्पूर्ण विश्व मजबूत मानता है। वही सरकार अराजक बंगाल की ममता सरकार के आगे असहाय साबित हो रही है। शायद केंद्र सरकार की कमजोरियों की वजह से ही ममता सरकार केंद्र की प्रचुर सवैधानिक शक्तियों को चुनोती देने ,आंखे दिखाने में नही हिचक रही है।
डॉक्टर मोमिता देवनाथ के रेप के बाद भड़की अराजकता,हिंसा पर नियंत्रण करने की बजाय cm ममता वेनर्जी खुद महिलाओ को लेकर सड़को पर उतर गई थी। इससे से ऐसा लगता है कि ममता रेप के आरोपियों को ठीक संदेश खाली के आरोपियों को बचाने सरकार को दांव पर लगाने मे नही हिचकी थी। आरोपी टीएमसी के प्रभावशाली छत्रप थे। उन्हें बचाने, सबूत मिटाने के लिए टीएमसी के करीब 02-05 हजार गुंडों ने हमला करके आरजे हॉस्पिटल को तहस नहस कर दिया था। डॉक्टरों,नर्सों को बेदर्दी से मारा पीटा था। आंदोलन रत डॉक्टरों को दौड़ा दौड़ा के पीटा। मंच तहस नहस कर दिया था। डॉक्टरों को जान बचाने के लिए भागना पड़ा था।
ममता की जाबांज पुलिस 19 हमलावरों को ही खोज पाई थी। वे भी जमानत पर मौज कर रहे है। बतौर सबूत तमाम हमलावरों की जनूनी,जिहादी हरकते सीसीटीवी कैमरे में कैद थी।
आरजे हॉस्पिटल कांड का भारत भर में विरोध हुआ था। संदेश ख़ाली कांड के मुकाबले हॉस्पिटल कांड ने प. बंगाल की चूले ज्यादा हिला दी थी। इस कांड के आरोपियों की मुश्के कसवाने, मृतक पीड़िता को न्याय दिलाने ओर भविष्य में किसी और शर्मनाक कांड की पुनरावर्ती न हो, इसका बीमा बंगाल चाहता था।इसके खिलाफ बंगाल उबल रहा था। आज भी उबल रहा है।मगर ममता सरकार ने नारी शक्ति की सुरक्षा।मान सम्मान,गरिमा के हित मे जबान दे मल्हम लगाने के सिवा कानूनन कुछ नही किया।
प.बंगाल कांग्रेस के एकमात्र दमदार नेता अधीर रंजन चौधरी ममता सरकार को भले ही आड़े हाथ ले मुर्शिदाबाद,मालदा आदि जिलों के भारत से टूटने की चेतावनी दे रहे हो। मगर कांग्रेस का समर्थन न तो चौधरी को मिल रहा है न उनकी चेतावनी को न सरकार न कांग्रेस गंभीरता से ले रही है।
मौका देख रोटियां सेंकने में माहिर वाम दल भी खामोश है।उनकी धार ममता के आक्रमक तेवरों ने कुंद कर दी।
दमदारी से केबल बीजेपी ही ममता की जनविरोधी, तानाशाही से लोहा ले रही है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों, राज भवन की हिंसा,अराजकता,बर्बरता के प्रमाण दे रही है। हाल मे ही राजपाल ने अपनी ही सरकार की नीतियों,अराजकता, हिंसा पर जम कर बरसे।
हमास, फिलिस्तीन पर रोने वाला इंडी गठबंधन बंगलादेशी अल्पसंख्यक हिंदुओं के ऊपर हुए जघन्य जुल्मों,कुकर्मो, हिंसा,आग जनी अमानवीयता, हत्याओं के खिलाफ चुप है। खामोश है। बल्कि उनके बचाव में उतर नारी जगत का अपमान करने,उनकी गरिमा,मान, मर्यादा घटाने के शर्मनाक,निंदनीय हथकंडे अपना रहा है। इन तमाम कांडों में इंडी गठबंधन की नकारात्मक, अशालीन, अमर्यादित, अलोकतांत्रिक, गैर कानूनी, अमानवीय भूमिका को सारे देश ने देखा। माना वोटों का सौदागर।
इंडी गठबंधन के दोहरे मापदंडों ने इन्हें बेनकाब कर ये साबित कर दिया कि वोटो के लिए देश को भी दांव पर लगा 140 भारतीयों के जीवन का सौदा कर सकते है।